सरदार वल्लभाई पटेल चिकित्सालय मेरठ मेडिकल कॉलेज मैं विश्व स्तनपान सप्ताह : माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत समान

 



मेरठ में सरदार वल्लभाई पटेल मेडिकल कॉलेज में मनाया गया विष्व स्तनपान सप्ताह अगस्त माह के प्रथम सप्ताह यानी 1 अगस्त से 7 अगस्त तक प्रतिवर्ष समस्त विश्व में ब्रस्टफीड अवेरनस वीक के रूप में मनाया जाता है इस सप्ताह को मनाने का मूल्य उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करना है। स्तनपान के चक्र की मध्यबिंदु महिला है जिसको निरंतर अपने परिवार, समाज, चिकित्सक, सरकार विधान एवं उनकी नितियों का समर्थन प्रदान होना अनिवार्य है इस समस्त प्रणाली को मजबूत बनाने हेतु एवं अधिक से अधिक माॅ स्तनपान के प्रति प्रोतसाहित करने हेतु यह सप्ताह अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है भरत में NFHS (2015-2016) सर्वेक्षण के अनुसार केवल 54.90 प्रतिशत शिशुओ को छः माह तक स्तनपान का दर है स्तनपान की इसी अहमियत को समझते हुए सरदार वल्लभाई पटेल चिकित्सालय मेरठ के बाल रोग विभाग में भी विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त, 2020 तक आयोजित किया जिसका मार्गदर्शन डा0 विजय जायसवाल (विभागाध्यक्ष), एवं इनकी टीम द्वारा किया गया इस कार्यक्रम के अन्तर्गत बाल रोग विभाग के समस्त चिकित्सक (डा0 विकासा अग्रवाल, डा0 अभिषेक सिंह, डा0 मुनेश तौमर, डा0 नवरतन गुप्ता, डा0 अनुपमा वर्मा डा0 अल्पा राठी एवं कंप्यूटर ऑपरेटर रंजन समस्त रेजिडेन्ट डाक्टरो द्वारा प्रत्येक माॅ एवं नवजात शिशु काक अकलन किया गया तथा स्तनपान का सही तरीका, इसके फायदे समझाए गये तथा इससे सम्बन्धित परेशानियों का समाधान भी बताया गया


स्तनपान के फायदे


माॅ का दूध केवल पेाषण ही नही जीवन की धारा है जिससे माॅ और बच्चे दोनो के स्वास्थ पर सकारात्मक प्रभाव पडता है यह माॅ को प्रसव के पश्चात होने वाले रक्तस्त्राव को कम करता है,स्तन,गर्भाशय एवं अंडाशय के कैंसर से बचाता है, गर्भावस्था के दौरान बढे वजन को कम करने में सहायक होता है,रूमेठी गठिया, ह्निदय रोग का खतरा कम करता है एवं यह प्राकृतिक गर्भनिरोधक का भी आसान विकल्प है माॅ का दूध नवजात शिशु हेतु संतुलित आहार है इसमें सभी मिनरल, विटमिन, इलेक्ट्रोलाइट, कार्बोहाइड्रेट फैट, प्रोटीन का सटीक मिश्रण होता है यह व्यक्तिगत भी होता है, समयपूर्ण जन्में शिशुओं की माॅ के दूध में प्रोटीन, आयरन, सोडीयम की मात्रा अधिक होती है इसमें इम्यूनोग्लोबुलिन एवं अन्य सुरक्षात्मक तल होते है जो शिशु के जीवन का पहला प्राकृतिक प्रतिक्षण का रूप है यह शिशु को नाक,गले एवं आॅतों में प्रतिरोधी त्वाचा बना देता है जिससे बच्चे को होने वाले विभिन्न सामान्य रोग जैसे दस्त, निमोनिया, कान का इन्फेक्शन, दमा इत्यादि से बचाव करता है एलर्जी, उच्च रक्तचाप, मधूमेह, दन्त समस्या, कैंसर (तिफोमा) मोटापा जैसी गम्भीर बिमारियों का भी खतरा कम करता है माॅ और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है एवं बच्चे का मानसिक विकास भी बेहतर होता है


स्तपान का सही तरिका


शिशु के जन्म के उपरान्त जल्द से जल्द स्तनपान आरम्भ करें क्योकि जन्म के पहले 30-60 मिनट के दौरान शिशु सर्वाधिक सक्रिय रहता है एवं उसके चूसने की क्षमता सर्वाधिक होती है स्तन से निकलने वाला पीला द्रव (कोलेसट्रम) अत्यन्त लाभदायक हैं। जन्म के तुरन्त बाद नग्न शिशु को माॅ के स्तन के पास ल जाए ताकि त्वचा से सम्पर्क हो सके शल्य क्रिया के चार घंटे बाद या एनीस्थीसिया के प्रभव से बाहर अने के बाद माॅ स्तनपान करा सकती है बच्चे एवं माॅ की सही पोजीशन और अटैचमेंट बहुत आवश्यक है- बच्चे का मूॅह पूरा खुला है, स्तन और परिवेश का बडा हिस्सा बच्चे के मूॅह के अन्दर हो, बच्चा माॅ की और मुडा हो बच्चे के गर्दन और शरीर समर्थित हो, बच्चे की ठोडी माॅ के स्तनेंस लगी तथा बच्चे की नाक बन्द ना हो स्तनपान के शुरूआत में माॅ का दूध मतला होता है जिससे बच्चे की प्यास बुझती है और अन्त की ओर दूध गढा होता जाता है जिससे बच्चे की भूख शांत होती है, इसलिये एक स्तन से 10-15 मिनट तक स्तनपान कराने के पश्चात ही शिशु को दूसरे स्तन से लगाए 24 घंटे में न्यूनतम 8-12 बार स्तनपान अवश्य कराॅए 8-10 बार दिन में तथा 2-3 बार रात में यदि शिशु उचित मात्रा में स्तनपान कर रहा है तो स्तनपान के उपरान्त 2-3 घंटे की नींद लेगा, 6-8 बार पेशाब और 2-3 बर एक दिन में पोटी करेगा तथा बच्चे का वजन 15-20 ग्राम प्रति दिन बढेगा