हाड़ौती क्षेत्र में मानसून में बारिश होने के साथ ही खरीफ फसलों में खरपतवार की समस्या अधिक देखने को मिलती हैं। सोयाबीन फसल में खरपतवार के कारण न केवल कीट-रोग फसल में आते है बल्कि फसल उत्पादन कम और लगत बढ़ जाती हैं। सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण करके ही काम लगत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान रखते हुआ आज चम्बल फर्टिलाईजर्स के कृषि विशेषज्ञ डॉ. जगमोहन सैनी ने ऑनलाइन के माध्यम से अंता क्षेत्र के किसान भाइयों को सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण के बारे में जानकारी दी। डॉ. सैनी ने बताया सोयाबीन की फसल को 60 दिनों तक खरपतवार मुक्त रखना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि सोयाबीन की खेती में फसल उत्पादन में 35-70% की हानि केवल खरपतवार के कारण होती हैं। खरपतवार फसल के पौधों से मृदा, जल, वायु और प्रकाश के साथ पोषक तत्वों के लिए भी प्रतिस्पर्धा के साथ ही कीट और रोगों की समस्या भी बढ़ाते हैं। यह देखा गया है की खरपतवार फसल को दिये जाने वाले उर्वरकों का 20-50% हिस्सा अवशोषित कर लेते हैं। जिससे फसल उपज में भारी गिरावट के साथ ही खेती की लागत भी बढ़ जाती हैं। इस प्रकार कृषकगण अपनी सुविधानुसार सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन के लिए अनुशंसित विधियों (डोरा/कुल्पा/ हाथ की निंदाई/खरपतवारनाशक) का प्रयोग करें। सोयाबीन की खड़ी फसल में अनुशंसित खरपतवारनाशकों की उचित मात्रा का उचित समय से उपयोग करें।डॉ. सैनी ने बताया जिन किसान भाइयों की सोयाबीन की फसल की बुवाई 15-20 दिन चुक होऔर खरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया हो, ऐसे में चौड़ी एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए सोयाबीन में अनुशंसित खरपतवारनाशक इमाझेथापायर 10 एस.एल. की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ को 200 लिटर पानी में घोलकर फ्लड जेट या फ्लेट फेन नोझल ( कट नोझल ) का उपयोग कर समान रूप से खेत में छिड़काव करके खरपतवार नियंत्रण करें। जहां पर सोयाबीन की फसल 20 से 25 दिन की हो गई वंहा फसल में पत्ती खाने वाले कीटों से संभावित नुकसान एवं खरपतवार प्रबंधन हेतु सोयाबीन में अनुशंसित कीटनाशक एवं खरपतवारनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. की 60 मिली. मात्रा प्रति एकड़ को इमाझेथापायर 10 एस.एल. की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ के साथ मिलाकर छिड़काव करें जिससे दोनों समस्याओं का उचित नियंत्रण हो सके।डॉ. सैनी ने बताया की वर्तमान कोरोना वायरस की स्थिति में कृषि कार्य करते समय किसान भाई एक समय 4 से अधिक श्रमिकों को इकट्ठा ना होने दें तथा उनके बीच 2 मीटर की पर्याप्त दूरी रखें। बुखार / सर्दी खांसी की स्थिति में अपने खेतों पर काम कर रहें श्रमिक को चिकित्सकीय परामर्श की सलाह दें। कोरोना वायरस से सुरक्षा हेतु स्वयं और श्रमिकों को चेहरे पर मास्क/गमछा/रूमाल/कपड़ा लगायें तथा हाथों में मौजे/ग्लब्स लगाना अनिवार्य करें। कृषि कार्य करते समय मादक पदार्थ / तम्बाकू का सेवन ना करें। समय-समय पर 20 सेकंड तक अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह धोंये।