उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े-बड़े दावे हुए फेल मजदूर और गरीब राशन के लिए दर-दर भटक रहे लोग सरकार और एनजीओ की मदद भी नहीं मिलती
उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े-बड़े दावे हुए फेल मजदूर और गरीब राशन के लिए दर-दर भटक रहे लोग सरकार और एनजीओ की मदद भी नहीं मिलतीजिला प्रशासनऔर एनजीओ से मदद ना मिलने पर खोड़ा में अब बढ़ने लगी दिक्कत - किराएदारों का कार्ड बनने के बावजूद नहीं मिल रहा राशन जिला प्रशासन के द्वारा खोड़ा इलाके को सील करने के पांचवे दिन लोग अब भूख- प्यास और जरूरी सामान की पूर्ति के लिए सड़क पर आ पहुंचे हैं। प्रशासन की व्यवस्थाओं को धत्ता बताते हुए तमाम लोगों ने फिर से मदद की अपील की है। लोगों का कहना है कि पिछले महीने नए कार्ड बनने के बावजूद उन्हें कहीं से भी राशन नहीं मिल रहा है। वहीं, एनजीओ की मदद से खाना लेने जाते वक्त लोग पुलिस के डंडे के डर से बीच रास्ते से ही लौट आते हैं। खोड़ा में लोगों की व्यथा अब ऐसी हो रही है कि मजबूरियों को बताते बताते उनके आंखों से आंसू छलकने लगते हैं।
1. सहाब बेटे का हो गया एक्सीडेंट, कहां से राशन ः खोड़ा के आर्दश नगर में 75 वर्षीय जगपाल पत्नी, बेटे-बहू और पोती-पोतों के साथ रहते हैं। पांच महीने पहले बेटे का एक्सीडेंट् हो गया। वह बेड पर लेटा रहता है।
मैं मजदूरी कर परिवार पालता हूं,अब वो भी काम बंद हो गया। पहले किराए पर रहता था। जैसे-तैसे करके मकान बनाया। लेकिन अब ना वोट है ना राशन कार्ड।
अब राशन के एक-एक दाने के मोहताज हो रहे हैं। 2. मदद के लिए जाती हूं तो पुलिस मारती है डंडे ः राजीव नगर में किराए के मकान में रहने वाली सरिता भी पति और बच्चों के साथ रहती है। पति की मजदूरी बंद होने के बाद घर में खाने-पीने की व्यवस्था एक टाइम की हो गई है।
तीन दिनों से मदद की आस में बाहर जाती हूं तो वहां पुलिस वाले डंडा मारकर भगा देते हैं। मैं और पति भूखे रह लेंगे। लेकिन बच्चों को भूखा नहीं देख सकते। 3. कंपनी जाने के लिए पास भी नहीं मिल रहा खोडा में रहने वाले जेपी पांडेय ग्रेटर नोएडा में इंक बनाने की कंपनी में काम करते हैं।
जरूरी वस्तु होने के चलते कंपनी की तरफ से उन्हें लेटर भी आ चुका है। लेकिन प्रशासन से पास ना मिलने की वजह से वह कंपनी नहीं जा पा रहे हैं। इसके अलावा वह लोगों की सामाजिक तौर पर मदद भी नहीं कर पा रहे हैं। कंपनी में मैनेजर होने की वजह से उन्हें कई बड़ी कंपनी में इंकर सप्लाई के ऑर्डर पास करने हैं।
जो नहीं होने से वह परेशान हैं। 4. राशन बनने के बावजूद दुकान के चक्कर काट रहा हूंः कई वर्षों से किराए पर रहने के दौरान मुकेश ने जैसे-तैसे करते राशन कार्ड बनवाया। लेकिन अब उससे भी उन्हें फायदा नहीं मिल रहा है।
लॉकडाउन में मजदूरी के सभी काम बंद होने के बाद वह परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का भी इंतजाम करने में मजबूर हैं। पिछले महीने कार्ड बनने के बाद वह राशन के लिए अधिकांश दुकानों पर काटते रहते हैं। लेकिन अभी कहीं से मदद नहीं मिल पा रही है। 5. टाइम टेबल बनाकर सभी दुकानों को खोला जाए झंडापुर निवासी महेश उपाध्याय का कहना है कि इलाके में ज्यादातर लोग किराए के मकान में रहकर परिवार पालते हैं।
वह रोजाना खाने-पीने का सामान लेकर दो वक्त की व्यवस्था कर पाते हैं। लेकिन अब तो दुकानें बंद होने से व्यवस्था बिगड़ गई है। जबकि कई लोग तो हार्डवेयर, स्टेशनरी, खल-चूरी, राशन व अन्य जरूरी सामानों को खरीदना चाहते हैं। इसके लिए सील इलाके में टाइम टेबल बनाकर ही दुकानों को खोलने की मंजूरी प्रशासन स्तर से दी जाए तो लोगों को राहत मिल सकती है।
6. पानी की समस्या का किया जाए हल ः रतन उपाध्याय कहते हैं कि झंडापुर सील होने के बाद कुछ दिनों तक पानी के टैंकर से सप्लाई होती थी। लेकिन अब वो बंद हो चुकी है लोग बोतल बंद पानी भी नहीं खरीद पा रहे हैं। जबकि दुकान का राशन व अन्य सामान लानें में दिक्कत हो रही है।
जिस गली से सामान लाने की कोशिश करते हैं वहां से वापस भेज दिया जाता है। 7. 19 कमरे और 2 दुकानों का किराया माफ कर दी राहत इंदिरापुरम निवासी सुजीत परासर ने खोड़ा इलाके में रहने वाले अपने तमाम किराएदारों को मानवता के नाते राहत दी है। उन्होंने 19 कमरे और 2 दुकानों का किराया एक माह के लिए माफ किया है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान उन्होंने सभी लोगों से भी किराया माफ कररने की अपील की है। इससे प्रवासी और गरीब-मजदूर परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी