ग्राम पंचायतों कोे कार्यों का आवंटन रोकने पर जवाब तलब
ग्राम पंचायतों कोे कार्यों का आवंटन रोकने पर जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर निगम प्रयागराज के सीमा विस्तार की अधिसूचना जारी होने के बाद ग्राम पंचायतों को कार्यों का आवंटन बंद करने और आर्थिक मदद रोकने पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। सीमा विस्तार की 31 दिसंबर 2019 को जारी अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ कर रही है। याचिका दाखिल कर कहा गया है की जिन ग्राम पंचायतों को नगर निगम में शामिल किया गया है, उनका कार्यकाल अभी छह माह बचा है।
मगर जिला पंचायत राज अधिकारी ने इन गांवों को मनरेगा के तहत कार्यों का आवंटन रोक दिया है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों को आर्थिक मदद भी रोक दी गई है। ऑल इंडिया पंचायत परिषद के प्रयागराज जिला अध्यक्ष विजय सिंह पटेल की ओर से दाखिल याचिका पर सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा, नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभू राय ने बहस की। याचिका में प्रमुख सचिव शहरी विकास सहित जिलाधिकारी प्रयागराज, नगर निगम प्रयागराज, जिला पंचायत राज अधिकारी प्रयागराज आदि को पक्षकार बनाया गया है
याची का कहना है कि बहादुरपुर ब्लॉक के 62 गांवों को नगर निगम सीमा में सम्मिलित किया जाना है । सरकार ने कुल 207 गांव को नगर निगम सीमा में शामिल करने के लिए 31 दिसंबर 2019 को अधिसूचना जारी की है। मगर इन ग्राम पंचायतों का कार्यकाल अभी बचा है। इसके बावजूद पंचायतों को कार्यों का आवंटन और धन राशि का वितरण रोक दिया गया है। याचिका में मांग की गई है की पंचायतों को काम देने पर लगी रोक को हटाया जाए, उनको नए कार्यों का आवंटन किया जाए तथा ग्राम प्रधानों के कार्यों में हस्तक्षेप न किया जाए। साथ ही पंचायतों को आर्थिक मदद न रोकी जाए। कोर्ट ने इस मामले में तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने और एक सप्ताह में याची को प्रतिउत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका पर चार मार्च को अगली सुनवाई होगी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर निगम प्रयागराज के सीमा विस्तार की अधिसूचना जारी होने के बाद ग्राम पंचायतों को कार्यों का आवंटन बंद करने और आर्थिक मदद रोकने पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। सीमा विस्तार की 31 दिसंबर 2019 को जारी अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ कर रही है। याचिका दाखिल कर कहा गया है की जिन ग्राम पंचायतों को नगर निगम में शामिल किया गया है, उनका कार्यकाल अभी छह माह बचा हैम पंचायत राज अधिकारी ने इन गांवों को मनरेगा के तहत कार्यों का आवंटन रोक दिया है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों को आर्थिक मदद भी रोक दी गई है। ऑल इंडिया पंचायत परिषद के प्रयागराज जिला अध्यक्ष विजय सिंह पटेल की ओर से दाखिल याचिका पर सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा, नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभू राय ने बहस की। याचिका में प्रमुख सचिव शहरी विकास सहित जिलाधिकारी प्रयागराज, नगर निगम प्रयागराज, जिला पंचायत राज अधिकारी प्रयागराज आदि को पक्षकार बनाया गया है याची का कहना है कि बहादुरपुर ब्लॉक के 62 गांवों को नगर निगम सीमा में सम्मिलित किया जाना है । सरकार ने कुल 207 गांव को नगर निगम सीमा में शामिल करने के लिए 31 दिसंबर 2019 को अधिसूचना जारी की है। मगर इन ग्राम पंचायतों का कार्यकाल अभी बचा है। इसके बावजूद पंचायतों को कार्यों का आवंटन और धन राशि का वितरण रोक दिया गया है। याचिका में मांग की गई है की पंचायतों को काम देने पर लगी रोक को हटाया जाए, उनको नए कार्यों का आवंटन किया जाए तथा ग्राम प्रधानों के कार्यों में हस्तक्षेप न किया जाए। साथ ही पंचायतों को आर्थिक मदद न रोकी जाए। कोर्ट ने इस मामले में तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने और एक सप्ताह में याची को प्रतिउत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका पर चार मार्च को अगली सुनवाई होगी।