चाहे हिन्दू मरे, चाहे मुस्लिम मरे, मर इन्सान ही रहा है। इंसानियत हर धर्म/जात से उपर है

चाहे हिन्दू मरे, चाहे मुस्लिम मरे, मर इन्सान ही, रहा है। इंसानियत हर धर्म/जात से, उपर ,है संजीव कुमार


 प्रिय साथियों


चाहे हिन्दू मरे, चाहे मुस्लिम मरे, मर इन्सान ही रहा है। इंसानियत हर धर्म/जात से उपर है। कटाक्ष की बजाय, इस समय शन्ति और सदभाव बनाये रखने की अपील कीजिये। दिल्ली पुलिस के लोग भी मारे जा रहे है। वो भी इंसान ही है। किसी भी धर्म के या ज़ाती के आदमी के मरने से, दंगे से अगर कोई खुश है, तो समझ लिजिये, उसकी इंसानियत मर चुकी है। सरहद पर लड़ने वाला जवान ये सोच कर कभी रक्षा नही करता की वो हिन्दू को बचा रहा है या मुसलमान को, वो तो हर भरतीय को बचाने के लिये अपना परिवार छोड कर दिन रात सरहद पर बैठा है, लेकिन वो भी आज बहुत दुखी होगा,सोच रहा होगा कि  जिनकी हिफाज़त मे,मैं दिन रात लगाता हूँ, असल में उन्हे तो इस हिन्दू/ मुस्लमान/ जात /पात से के झगड़ो से फुर्सत नही। वो सोचता होगा,जिन्हे मैं सरहद पर दुश्मन की गोली से बचा रहा हु,वो तो खुद ही झगड कर मरे जा रहे हैं । देश का युवा आज दिशाहीन होता जा रहा है ।गौर कीजिये,इस आज मे, आने वाले कल में, हमे और हमारे बच्चो को ही रहना है ।शन्ति की अपील कीजिये, भाईचारा बनाये रखने की अपील कीजिये। यही एक सच्चे भरतीय की पहचान है।


जय हिन्द